शुक्रवार, 20 सितंबर 2013

दंगो की राजनीति या दंगे पर राजनीति ?

समझ में यह नहीं आता कि हमारे देश के राजनीतिक दल और राजनेता देश से पहले अपने स्वार्थ में ही अंधे क्यों हो जाते हैं ? यह जानते हुए भी वोट बैंक की राजनीति ने देश को किस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है। उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर दंगों में जो कुछ हुआ या जो अब भी हो रहा है, क्या वाकई वह समाज में पहले से मौजूद खाई को और चौड़ा करने का काम नहीं कर रहा है ?

दंगों को रोकने में नाकामयाब रही अखिलेश यादव सरकार वोट बैंक को बचाए रखने की आड़ में जो राजनीति खेल रही है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। दुर्भाग्यपूर्ण वह भी है, जो राज्य के दूसरे दल अपना राजनीतिक जनाधार बढ़ाने के लिए कर रहे हैं। दंगों के बाद राज्य का पुलिस प्रशासन भी यदि किसी को फंसाने और किसी को बचाने के काम में जुट गया हो, तो दंगा प्रभावित इलाकों में हालात सामान्य होने की उम्मीद कैसे की जा सकती है? राज्य के मुख्यमंत्री जब दंगा प्रभावित इलाकों में निरीक्षण करने गए, तो उनके खिलाफ में और उन्हीं के साथी मंत्री के पक्ष में लगे नारे ये बताने के लिए पर्याप्त हैं कि राज्य सरकार पर लोगों का कितना विश्वास रह गया है।

दंगों को भड़काने के आरोप में भाजपा और बसपा के जनप्रतिनिधियों के खिलाफ वारण्ट निकलना और सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी के नेताओं को बचाने की कवायद से क्या माहौल सुधरने की उम्मीद की जा सकती है? राज्य सरकार यदि इन दंगों को राजनीतिक साजिश मानती है, तो दंगों के बीस दिन बाद भी इस साजिश का पर्दाफाश क्यों नहीं कर पा रही है? राज्य की समाजवादी पार्टी सरकार को जवाब इस बात का भी देना होगा कि उसके शासन में आते ही दंगे क्यों उग्र रूप ले लेते हैं? राज्य के एक वरिष्ठ मंत्री की इन बातों में अगर सच्चाई है कि दूसरे राज्यों के लोग आकर वहां माहौल को बिगाड़ रहे हैं, तो वे बताएं कि फिर उनकी सरकार ऎसा होने क्यों दे रही है?

सरकार को अगर लगता है कि कोई दल या नेता माहौल को खराब करने का काम कर रहा है, तो उसे उस पर अंकुश लगाना चाहिए। साथ ही, ध्यान इस बात का रखे जाने की भी जरूरत है कि प्रशासनिक अधिकारियों के तबादलों में पक्षपात के आरोपों से बचा जाए।

ऎसा नहीं लगे कि एक अक्षम अधिकारी को तो हटाकर दंडित कर दिया जाए और वोट बैंक की राजनीति के चलते दूसरे अक्षम अधिकारी को हटाने में कोताही बरती जाए। उत्तर प्रदेश में दंगों से जो नुकसान हो गया, उसकी जल्द से जल्द भरपाई किए जाने की तो जरूरत है ही, आवश्यकता इस बात की भी है कि हर संभव और जरूरी कार्रवाई करते हुए माहौल को और खराब होने से रोका जाए।

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार - 22/09/2013 को
    क्यों कुर्बान होती है नारी - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः21 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra





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