मंगलवार, 14 जनवरी 2014

भूली बिसरी यादे -- भाग 1

मेरी पढ़ाई में क्लास पहली से आठवी तक मेरे छोटे चाचा जी ''श्री मथुरा सिंह जी'' का बहुत योगदान रहा है उनके डंडे के प्यार भरी फटकार आज भी याद है । इसके बाद क्लास 9 से 11 वी तक ''श्री के पी गुप्ता जी'' का बहुत बड़ा योगदान रहा गुप्ता सर जी के डर के कारण मैंने '' हायर मैथमेटिक्स '' से 11 वी पास किया । इसके बाद डिप्लोमा में '' मोहन मुर्तज़ा खान '' सर का बहुत बड़ा योगदान रहा खान सर ने कभी नहीं डाटा , बड़े प्यार से समझाते थे दुनिया दारी उनकी सीख आज भी बहुत काम आ रही है ।
सभी सोच रहे होगे कि मैंने पिता जी का कही नाम नहीं लिया तो बता दू कि पिता जी शिक्षक थे और जब तक मैं रीवा में रहा तब तक ओ बाहर सहडोल ,और सीधी में रहे इस कारण पिता जी कि मार कभी नहीं खाई जीवन में सिर्फ एक बार एक चाटा मारा था पिता जी ने ।

नोट---: लाल घेरे में छोटे चाचा जी है । पढ़ाई करने के बाद गुप्ता सर जी और खान सर जी से कभी मुलाकात नहीं हुई ।