मंगलवार, 1 जनवरी 2013

ये नव वर्ष मैं कैसे करू तेरा स्वागत ?

कैसे मनाउ नया साल का जश्न ..कैसे दू सुभ कामानाये .....दामिनी का दामन अभी तक खून से सना हुआ है ...जब तक दामिनी को न्याय नहीं मिलता तब तक .....कोई उल्लास नहीं है मन में ... ......सुप्रभात सज्जनों और मित्रो .......जय जय श्री राम......

ये नव वर्ष मैं कैसे करू तेरा स्वागत,
दिल दुखी है मन है आहत
ये नव वर्ष मैं कैसे करू तेरा स्वागत ।
मैं भी दो बच्चियो का पिता हूँ,
दुनिया की दशा देखकर मन बड़ा खबराता है ।
देश के भविष्य का सोचता हूँ
तो आंखो के सामने सिर्फ अंधेरा नजर आता है ।
आगंतुक की आव भगत मे सबसे आगे रहना हम भारतीयो की रीत है
पर कोई आगटुक आकार हमारी आबो हवा बिगाड़ दे ये क्या ठीक है ???
मन तो मेरा भी करता है ,खूब गोते लगाऊ नवीनता की बहार मे।
मगर ये नवीनता संक्रमित हो चुका है, पशच्मी व्यार से।
ये नव वर्ष मैं कैसे करू तेरा स्वागत ,
दिल दुखी है मन है आहत
ये नव वर्ष मैं कैसे करू तेरा स्वागत ।

हे नव वर्ष तू आ ही गया है तो कुछ नया कर,
ऋषि-मुनियो एवं महा पुरुषो की इस भूमि को ,
तू भ्रस्ताचारियों से रिक्त कर।
हमारी माँ भारती को प्रेम और खुशियो से सिंचित कर।
तभी हम नया साल मनाएंगे,
हर्षित मन से तेरा स्वागत कर पाएंगे ।


आज बहुत बड़ा प्रश्न  है की दामिनी (देश की बेटी) को न्याय कब और कैसे मिलेगा ..??.दामिनी अब सिर्फ दामिनी नहीं रही ..बल्कि देश की बेटी बन गई ....