शुक्रवार, 2 मार्च 2012

।। शंबुक वध कि असलियत ।।


.कई बार एसा हुआ है कि हिन्दू धर्म के विषय में कुछ
... लोगों ने मह्रिषी शम्बूककी हत्या (श्री राम के
द्वारा ) की बातकरके मुझे चुप रहने के लिए मजबूर
कर दिया है. मैंने भी बहुत सोचा कि जिस राम
कि हम पूजा करते हैं ,जिनकोएक आदर्श पुरुष मानकर
पूरा भारत पूजताहै,वे इतने निर्दयी कैसे हो सकते हैं
कि बिना किसी कारन एक शम्बूक का वध केवल
मात्र इसलिए कर दें कि शम्बूक शुद्र थे.
सर्वप्रथम तो में यहाँ पर एक बात अवश्य
बताना चाहूँगा कि यह प्रसंग
भव्भूती द्वारा रचित उत्तर रामायण के तृतीय
चरण में शम्बूक वध में आता है. और यह काव्य रूप में है.
काव्य में भावार्थ निकाला जाता है,और
हजारों वर्ष पूर्व रचित उत्तर रामायण
का भावार्थ कोई ज्ञानी पंडित ही लिख सकताहै.
मै भी कुछ लोगों से मिला. शम्बूक वध कोकई
ब्लोगों में पढ़ा,कई पुस्तके पढ़ी, तो एक निष्कर्ष
पर पहुंचा कि इस प्रसंग को ब्रह्मण व शुद्र
का प्रसंग बताने वाले या तो महामूर्ख हैं
या फिरदेशद्रोही.
शम्बूक वध के तीसरे भाग आता है कि राम के प्रहार
से शुद्र शम्बूक का वध हो गया.राम को बदनाम
करने वाले केवल यही बात लोगों को बहकाने के
लिए कहते हैं,और दलितों का धर्मांतरण करने
वालीइसाई मिशनरियां तो इस प्रसंग की इस
घटना को और भी मसालेदार बनाकर दलितों के आगे
परोसती हैं.
वास्तव में यह प्रसंग इस प्रकार है किराम के पास
एक वृद्ध ब्रह्मण अपने १३ वर्ष के पुत्र का मृत
शरीर लेकर आता है और राम से कहता कि शुद्र
शम्बूक ने मेरे पुत्र का वध अपनी तपस्या के लिए कर
दिया है. (यहाँ ध्यानदेने योग्य बात यह है
कि शम्बूक को शुद्र इसलिए कहा गया है कि वह इक
नरबली वाला कोई अनुष्ठान कर रहा था. )
अब इसी प्रसंग की पूरी बात करते है. प्रसंग है
कि "राम शम्बूक के पास जाते हैं और उसका वध कर
देते हैं और शम्बूक एक दिव्य पुरुष के रूप में बदल
जाता है तथा अन्वेष्ट्व्यो यद्सी भुवने भूतनाथ:
शरण्य बोलता हुआ श्री राम के सामने हाथ जोड़कर
खड़ा हो जाता है और वृद्ध ब्रह्मण
को भी अपना पुत्र प्राप्त हो जाता है."
पुरे प्रसंग को पढ़कर सारा सत्य सामनेआ जाता है
कि इसका क्या भावार्थ होना चाहिए.
द्वारा -नवीन त्यागी
१- शम्बूक को शुद्र किसी जातिवाचक संज्ञा के रूप
में नहीं कहा गया है.
२- राम ने शम्बूक का वध नहीं किया, उन्होंने
शम्बूक के शुद्र रूप का वध किया और शम्बूक को अपने
वचनों से ब्रह्मण बनाया.
३- प्रसंग कहता है कि इस प्रकार वृद्ध ब्रह्मण
का पुत्र भी जीवित हो गया,यानि कि शम्बूक ने
उस वृद्ध ब्रह्मण को अपना पिता मान कर
उसकी सेवा शुरू कर दी.
४- राम ने केवल वही कार्य किया जो कि उनके
महान चरित्र के अनुरूप था.
अब आप ही बताएं कि पूरे प्रसंग की बात न करके
प्रसंग की केवलमात्र एक
पंक्तिको ही मसाला बनाकर परोसने वाले
लोगों को आप क्या कहेंगे?